Shodashi - An Overview

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

ध्यानाद्यैरष्टभिश्च प्रशमितकलुषा योगिनः पर्णभक्षाः ।

Worshippers of Shodashi request not merely material prosperity but also spiritual liberation. Her grace is said to bestow each worldly pleasures along with the indicates to transcend them.

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

He was so highly effective that he designed your complete entire world his slave. Sage Narada then requested the Devas to perform a yajna and from the fireplace with the yajna appeared Goddess Shodashi.

यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।

She is definitely the possessor of all wonderful and wonderful matters, which includes Actual physical objects, for she teaches us to possess with out being possessed. It is claimed that dazzling jewels lie at her ft which fell from the crowns of Brahma and Vishnu every time they bow in reverence to her.

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं read more च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।

यस्याः शक्तिप्ररोहादविरलममृतं विन्दते योगिवृन्दं

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।

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